राजनांदगांव। जल, मानव जीवन का मूलभूत आधार है। इसके बिना जीवन की कल्पना असंभव है। वर्तमान समय में जल संकट एक गंभीर समस्या के रूप में उभर रहा है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। जिले के कई ग्रामीण क्षेत्र आज जलसंकट का सामना कर रहे हैं। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह की अध्यक्षता में जिला पंचायत सभाकक्ष में मिशन जल रक्षा और जल स्त्रोतविहीन ग्राम के संबंध में जल संसाधन, कृषि, मनरेगा सहित अन्य विभागों की संयुक्त कार्यशाला आयोजित की गई। सीईओ जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह ने कार्यशाला में जिले के जल संकट से प्रभावित गांवों की समस्या का समाधान करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाते हुए संयुक्त प्रयास करने कहा। उन्होंने जल संरक्षण और प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डाला। जिसके अंतर्गत जिले के सभी जल स्त्रोत विहीन गांवों को चिन्हांकित करके जीआईएस तकनीक का उपयोग करते हुए उन सभी गांवों का प्लान तैयार कर योजना बनाई गयी। कार्यशाला का उद्देश्य केवल तत्काल समस्या समाधान तक सीमित नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक जल संरक्षण और प्रबंधन के उपायों को लागू करना भी है। पारंपरिक जलस्रोत तालाब, कुएं और अन्य डबरी या तो सूख रहे हैं या उपयोग के लायक नहीं हैं। इसके अलावा भू-जल स्तर में गिरावट और असमान वर्षा ने समस्या को और बढ़ा दिया है। ऐसे में एक वैज्ञानिक और व्यवस्थित सर्वेक्षण की आवश्यकता महसूस की गई ताकि इन गांवों को चिन्हित कर उनकी समस्या का समाधान किया जा सके। इस चुनौती का समाधान करने के लिए स्थानीय प्रशासन और तकनीकी विशेषज्ञों ने मिलकर जलस्रोतविहीन गांवों का एक व्यापक सर्वेक्षण किए जा रहे । इसमें वर्षा जल संचयन, तालाबों, कुओं का पुर्ननिर्माण और सामुदायिक सहभागिता जैसे मुद्दों को शामिल किया गया। जिसे के सभी विभागों को इस विषय में शीघ्र ड्राफ्ट तैयार प्रस्तुत करने निर्देशित किया गया है। इसके साथ ही इस समस्या के समाधान में सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
सीईओ जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह ने कहा कि जिले के जलस्रोतविहीन गांवों की समस्या को हल करने के लिए स्थानीय प्रशासन और तकनीकी विशेषज्ञों ने जल प्रबंधन योजना का मसौदा तैयार करने की दिशा में कार्य आरंभ किया है। यह योजना न केवल पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी, बल्कि ग्रामीण विकास और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगी। जल प्रबंधन के लिए प्रत्येक गांव के लिए विशेष योजना तैयार की किए जा रहे है, जिसमें स्थानीय संसाधनों और भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखा गया। जल संकट से निपटने के उद्देश्य से संबंधित विभागों को योजना का ड्राफ्ट जल्द से जल्द प्रस्तुत निर्देशित किया गया है। जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) के माध्यम से गांवों की भौगोलिक और हाइड्रोलॉजिकल स्थितियों का अध्ययन किए जा रहे है। सर्वेक्षण में जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) और रिमोट सेंसिंग जैसी तकनीकों का उपयोग किए जा रहे है। इन तकनीकों से गांवों की भौगोलिक स्थिति, मिट्टी की संरचना और जलग्रहण क्षेत्र का विस्तृत नक्शा तैयार किए गए हैं। इस तकनीक से जलस्रोतों की संभावनाओं को खोजने और जल संरक्षण के लिए प्रभावी योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। जल श्रोतविहीन गांवों का सर्वेक्षण कार्य एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इन गांवों के जल संकट को समझने और समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाने में मदद मिलेगा है।
सीईओ जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह ने कहा कि यदि सही तरीके से जलस्रोतों का संरक्षण और प्रबंधन किया जाए, तो जलस्रोतविहीन गांवों में पानी की समस्या को हल किया जा सकता है। यह केवल एक जल संकट समाधान नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण विकास और समाज की समृद्धि के लिए भी एक महत्वपूर्ण पहल है। यह पहल राजनांदगांव जिले को न केवल जल संकट से मुक्त करेगी, बल्कि अन्य जिलों और राज्यों को भी प्रेरणा देगी। जलस्रोतविहीन गांवों को पुनर्जीवित करने की यह प्रक्रिया पर्यावरण संरक्षण, ग्रामीण विकास और जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक सिद्ध होगी। जल है तो कल है इस संदेश के साथ इस प्रकार की योजनाएं केवल प्रशासन का कर्तव्य नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी बननी चाहिए।