राजनांदगांव। एक पेड़ मां के नाम के स्लोगन के साथ पूरे प्रदेश के जिले तहसील गांव में वृक्ष लगाने एवं वृक्ष लगाने के दौरान फोटो खिंचवाने की एक होड़ सी मची हुई है। कहते हैं वृक्ष धरती मां का श्रृंगार है, किंतु मनुष्य इसी धरती मां के सिंगर के साथ अपने निजी स्वार्थ निजी फायदे के लिए वृक्षों का इस्तेमाल करता है। इसी का जीता जागता उदाहरण राजनांदगांव शहर में स्थित सृष्टि कॉलोनी में देखा जा सकता है, जहां पर कॉलोनी मैं रहने वाले कुछ निवासी अपने निजी फायदे के लिए वृक्षों का सहारा ले रहे हैं। अमूमन देखा गया है कि जब मनुष्य अपने लिए एक छोटा सा सुंदर सा मकान बनाता है, तो बगीचा भी जरूर बनता है, किंतु सृष्टि कॉलोनी के कुछ लोगों के द्वारा नगर निगम की सरकारी जमीन पर वृक्षारोपण एवं पार्किंग के नाम पर वृक्षारोपण किया गया और कुछ वर्षों के बाद वृक्ष जब बड़े एवं सुंदर लगने लगे तो उन रहवासियों ने उस वृक्ष लगे पूरी जमीन को अपनी निजी जमीन के साथ मिलाकर बगीचे का रूप दे दिया और तो और वहां के कुछ रहवासियों द्वारा स्वयं के मकान के निर्माण के दौरान लगे बड़े वृक्षों को बेदर्दी से काट भी दिया। वृक्ष काटने का कारण यह बताया जा रहा है की निर्माण के दौरान वृक्ष के होने से निर्माण में बाधा उत्पन्न हो रही थी। विडंबना तो यह है ना ही इस मामले में पार्षद ने किसी प्रकार की कोई कार्रवाई की ना ही नगर निगम के आला अधिकारी ने इस मामले को संज्ञान में लिया। सृष्टि कॉलोनी वासियों की माने तो बगीचे के नाम पर लाखों रुपए की जमीन को रहवासियों ने हथिया लिया है और तो और सिर्फ गाड़ी पार्किंग करने के उद्देश्य से वृक्ष लगाते हैं एवं अपनी निजी गाड़ियों को वर्षों के नीचे पार्क करते हैं, जबकि सभी ने अपने घर में पार्किंग बना रखी है। आश्चर्य तो इस बात का भी है कि उस कॉलोनी में कुछ बड़े अधिकारियों का भी निवास स्थान है।
एक पेड़ मां के नाम यह स्लोगन सुनने में बहुत ही दिल को सुकून देने वाला एवं आनंद देने वाला महसूस होता है, किंतु यह कैसी विडंबना है की एक और सभी जगह धूमधाम से वृक्ष लगाए जा रहे हैं। वही एक और कोल माइंस के नाम पर लगभग 450 जवानों को तैनात कर 50000 के लगभग वृक्ष को काट दिया गया है, इन सब को देखकर क्या संदेश जाता है समझ के बाहर। और तो और सृष्टि कॉलोनी में एक रहवासी द्वारा नगर निगम सरकारी जमीन पर बिना अनुमति लिए बोरिंग खुदवा कर उस बोरिंग का इस्तेमाल वह निजी उपयोग के लिए कर रहा है। क्या यह सरकार के नियमों के खिलाफ नहीं है। सरकार को निगम को इस मामले में अवश्य कड़ा कदम उठाना चाहिए।
