राजनांदगांव। नगर निगम द्वारा शहर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के तहत ठेले-गुमटी संचालकों के धंधे उजाड़ने के विरोध में युवा नेता निखिल द्विवेदी के नेतृत्व में सैकड़ों छोटे व्यापारी निगम कार्यालय पहुंचे और जमकर हंगामा किया। पूर्व पार्षदों और व्यापारी प्रतिनिधियों की मौजूदगी में निगम प्रशासन को चेतावनी दी गई कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए गरीबों का रोजगार छीना जाना अन्यायपूर्ण है।
“शहर सुंदर हो, पर गरीबों का पेट न कटे”
प्रदर्शन के दौरान निखिल द्विवेदी ने कहा कि, “शहर सुंदर हो, पार्किंग बने, इसकी आवश्यकता सभी को है, लेकिन गरीबों पर बुलडोज़र चलाकर विकास नहीं किया जा सकता। भाजपा सरकार गरीबों को हटाकर कौन-सा ‘गरीबी हटाओ’ का सपना पूरा करना चाहती है?” उन्होंने कहा कि महज 300-500 रुपये रोज़ कमा कर जीवन चलाने वाले ठेले वालों का धंधा उजाड़ देना पूरी तरह अमानवीय है।
पूर्व पार्षदों ने किया समर्थन
पूर्व पार्षद विनय झा और अवधेश प्रजापति ने सवाल उठाया कि जब तिब्बती व्यवसायियों के लिए शुल्क लेकर नगर निगम व्यवस्था करता है, तो फिर स्थानीय गरीबों के लिए ऐसा प्रबंध क्यों नहीं किया जा सकता? उन्होंने मांग की कि निगम छोटे व्यापारियों से नियत शुल्क लेकर स्थायी व्यवस्थापन करे, ताकि वे सम्मानपूर्वक अपना जीवन यापन कर सकें।
2 दिन की मोहलत, नहीं तो आंदोलन
निखिल द्विवेदी ने नगर निगम को दो दिन की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इतने समय में प्रभावित व्यापारियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई, तो सोमवार से जोरदार आंदोलन होगा। उन्होंने कहा कि, “हमें रमन सिंह का काफिला रोकना पड़े या महापौर मधुसूदन यादव का घर घेरना पड़े, हम पीछे नहीं हटेंगे। गरीबों को न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर लड़ाई लड़ी जाएगी।”
बड़ी संख्या में व्यापारी शामिल
प्रदर्शन में पूर्व पार्षद मधुकर बंजारे, पूर्व पार्षद प्रतिनिधि दीनू साहू सहित सैकड़ों की संख्या में छोटे व्यापारी उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में कहा कि व्यवस्थापन के बिना दुकानें हटाना अन्याय है और यदि प्रशासन ने समाधान नहीं निकाला, तो इसका पुरज़ोर विरोध होगा।
निखिल द्विवेदी ने अंत में स्पष्ट किया कि यह आंदोलन गरीबों की रोज़ी-रोटी की लड़ाई है, जिसमें कोई समझौता नहीं होगा और हर हाल में गरीबों को न्याय दिलाया जाएगा।