50 डिग्री तापमान पर स्कूल जारी रहेगा ?शहर का तापमान 43 से 50 डिग्री क्यों नहीं हो जाए मर्जी मेरी – अशोक फडनवीस

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सरकार की मंशा बच्चो को भीषण गर्मी में भी स्कूल जाने मजबूर क्यों कर रही है कारण की उन पर
निजी संस्थाओं के स्कूलों का दबाव इतना रहता है कि वे अपना निर्णय बच्चो के हित को भी नजर अंदाज करना पड़ता है
जिम्मेदार ए सी में बैठ रहते है उन्हें गर्मी का एहसास ही नहीं होता है वे क्या महसूस करेंगे स्कूल जाने वाले बच्चों पर इस भीषण गर्मी में उनका क्या हाल हो रहा होगा क्योंकि जिम्मेदार और पूंजीपतियों के बच्चे ए सी मकान ए सी गाड़ी ए सी दफ्तर के साथ उनके बच्चे ए सी स्कूल में पढ़ते है तो तकलीफ का एहसास कहा से होगा ।।
मुख्य कारण यह है कि जब तक निजी स्कूलों में पढ़ने वाले सभी क्लास के बच्चे किताब , ड्रेस, जूते के साथ अन्य सामग्री की खरीदी निर्धारित दुकान से ना कर ले तब तक शिक्षण संस्थाने चालू ही रहेंगे
आपके शहर का वर्तमान में ४३ डिग्री तापमान हो या ५० डिग्री क्यों ना हो जाए मर्जी तो निजी स्कूलों की ही चलेगी जनाब आप छापते रहो या शिकायत करते रहे हम तो अपनी मर्जी के मालिक है
कुछ दिन पूर्व एक जागरूक जनप्रतिनिधि ने पलकों के हित के लिए आवाज उठाई थी बड़ी हिम्मत की लिखित शिकायत भी की उन्हें क्या मालूम की बड़ी मछलियों पर हाथ डालना कितना कठिन है ।
हमने भी अपनी समिति के माध्यम से बहुत संघर्ष किया कोई हासिल नहीं हुआ सब से स्कूलों की सारे निर्णय पालक समिति ही करती है समिति में व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्ध करने वालों की नियुक्ति होती है उनका प्रस्ताव आपकी शिकायत को कचरे के डब्बे में फेक दिया जाता है।
इनकी पहुंच पाताल से आकाश तक है जब तक बच्चों के पालक एक साथ अपने और अपने बच्चों की रक्षा के लिए आवाज नहीं उठाएंगे कुछ नहीं हो सकता है और यह असंभव है पालक इतने डरे रहते है कि जुबान पर पट्टी बंधी रहती है जिन्हें संस्था अच्छी तरह से जानती है।।।
कलेक्टर हो या जिला शिक्षा अधिकारी चाह कर भी अपने हाथ एक समय के बाद खींच लेते हैं?
देश के 90 % पर 10 प्रतिशत राज करते है 90% लोगो को कोई मतलब नहीं।।
अशोक फडनवीस।।

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