राजनांदगांव। प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ चुकी है तथा आपराधिक घटनायें रोकने में भाजपा सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है। प्रदेश में भय, आतंक का माहौल बना हुआ है। लूट, डकैती, हत्या जैसी वारदातें लगातार बढ़ रही है, जिससे प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बद से बदहाल हो चुकी है। अभी वर्तमान में बलरामपुर जिला में पुलिस अभिरक्षा एवं पुलिस प्रताड़ना में हुई मौत को लेकर शहर जिला कांग्रेस व जिला ग्रामीण कांग्रेस कमेटी द्वारा प्रेसवार्ता लेकर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष कुलबीर सिंह छाबड़ा ने प्रेसवार्ता में बताया कि बलरामपुर जिले में मृतक गुरुचरण मंडल की पत्नी विगत 29 सितंबर से लापता हो गई, जिसकी पूछताछ को लेकर मृतक युवक व उनके पिता को पुलिस स्टेशन में पूछताछ के लिए पुलिस ने 4 दिनों तक हिरासत में रखा गया, जबकि किसी भी व्यक्ति को पुलिस 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में नहीं रख सकती। गुरुचरण मंडल, उनके पिता तथा एक अन्य को चार दिनों तक थाने में हिरासत में क्यों रखा गया? 24 घंटे के भीतर कोर्ट में क्यों प्रस्तुत नहीं किया गया? मृतक के पास टॉवेल (तौलिया) कहां से आया, जबकि उसके पिता का कहना है उसके पास कोई टॉवेल नहीं थी? पुलिस का कहना है कि मृतक गुरुचरण की मौत बाथरूम में फांसी लगाने से हुई है तो मृतक के शरीर का पंचनामा परिजनों व परिचितों के सामने क्यों नहीं किया गया? मृतक के शव को थाने से अस्पताल ले जाते उसके पिता ने देखा, लेकिन उसके मौत की जानकारी थाने में उनको क्यों नहीं दिया गया? मृतक के परिजन शव को दफनाने की मांग कर रहे थे, पुलिस जलाना क्यों चाहती थी, हालांकि बाद में दबाव के कारण दफनाया गया। इससे साफ है कि प्रदेश की भाजपा सरकार के दबाव में पुलिस प्रशासन काम करा रही है।
प्रदेश में रोजाना प्रतिदिन घट रही घटनायें यह साबित करने के लिये पर्याप्त है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी है तथा आपराधिक घटनायें रोक पाना सरकार के बस की बात नहीं है। ऐसी नकारी और निक्कमी सरकार को तत्काल बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाना चाहिये। जब जनता अपने जान-माल की सुरक्षा तथा अपराधियों और आपराधिक घटनाओं के विरोध में खुद सड़कों पर उतर जाये तथा राज्य के हालात अराजक हो जाये तब ऐसी सरकार को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिये। बलरामपुर में महिलाओं ने पुलिस पर हमला कर दिया। सरकार की अकर्मण्यता का नतीजा है जनता को अब पुलिस और सरकार पर भरोसा नहीं रह गया है। जनता सरकार की क्षमता और पुलिस की दुर्भावनापूर्वक कार्यवाहियों के खिलाफ विद्रोह पर उतर आई है। पुलिस की अक्षमता और सरकार के अनिर्णय के कारण बलौदाबाजार में एसपी, कलेक्टर कार्यालय जला दिया गया, सूरजपुर में अपराधी के घर पर हमला करने गयी भीड़ ने एसडीएम को पीटने के लिये दौड़ा दिया, उनको भागकर जान बचानी पड़ी। कवर्धा में पुलिस से न्याय की उम्मीद छोड़ चुकी जनता ने एक व्यक्ति को उसके घर में जिंदा जला दिया। सीतापुर में पुलिस की लापरवाही के खिलाफ अपराधी पर कार्यवाही की मांग को लेकर जनता ने 24 घंटे चक्काजाम कर दिया था, तब जाकर पुलिस ने कार्यवाही किया। यह सारी घटनाएं बताती है कि भाजपा के राज में अराजकता फैली हुई है। सरकार चलाने वाले कानून व्यवस्था को नहीं संभाल पा रहे है। सरकार की विफलता की जवाबदेही मुख्यमंत्री की है। मुख्यमंत्री का नियंत्रण सरकार पर नहीं है। सरकार बेपटरी हो चुकी है। एसपी और कलेक्टर, दर्जनों वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को हटाने के बाद भी सरकार कानून व्यवस्था नहीं संभाल पा रही तब मुख्यमंत्री, गृह मंत्री को हटाने में क्यों हिचकिचा रहे है? मुख्यमंत्री को ऐसा लगता है कि उनके गृह मंत्री की गलती नहीं है तो सरकार की नाकामी की जिम्मेदारी खुद लेकर तत्काल इस्तीफा दें। कांग्रेस संगठन लगातार भाजपा सरकार के नाकामी को उजागर कर कानून व्यवस्था की स्थिति को सुधार करने के लिए भाजपा सरकार के उपर आक्रमक रूप अख्तियार करके लगातार विरोध कर रही है।
इस मामले की उच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच कराया जाये। इस पूरे मामले में पुलिस अधीक्षक, एसडीओपी तथा टीआई की भूमिका संदिग्ध है, उन सबके खिलाफ तत्काल कार्यवाही की जाये। मृतक के शरीर का डॉक्टरों का दल बना कर फिर से पोस्टमार्टम कराया जाये। मृतक के परिवार को 1 करोड़ मुआवजा दिया जाये। प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था की नैतिक जिम्मेदारी लेकर मुख्यमंत्री इस्तीफा दे, गृहमंत्री को बर्खास्त किया जाये।
इस दौरान प्रमुख रूप से वरिष्ठ कांग्रेसी श्रीमती शारदा तिवारी, श्रीकिशन खंडेलवाल, पंकज बांधव, पीसीसी मेहुल मारू, शहर कांग्रेस महामंत्री अमित चंद्रवंशी, उत्तर ब्लॉक अध्यक्ष आसिफ अली मौजूद रहे।