राजनांदगांव। कलेक्टर संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर खुज्जी विधायक भोलाराम साहू, डोंगरगढ़ विधायक श्रीमती हर्षिता बघेल, जिला पंचायत सीईओ सुश्री सुरूचि सिंह उपस्थित थी। कलेक्टर श्री अग्रवाल ने कहा कि जल संकट की स्थिति को देखते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए पानी को बचाना आवश्यक है। बैठक में लगातार बढ़ते हुए जल संकट को देखते हुए रबी मौसम में कम पानी उपयोग वाली फसल लेने का निर्णय लिया गया। जिससे पेयजल संकट और आने वाली पीढ़ी के लिए पानी बचाया जा सके। कलेक्टर श्री अग्रवाल ने कहा कि फसल चक्र परिवर्तन अपनाते हुए किसानों को धान के बदले कम पानी उपयोग वाली फसलों की खेती करनी चाहिए। इससे किसानों की भूमि की उर्वरता क्षमता के साथ आय में वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि पिछले रबी मौसम में धान की फसल के लिए 42 हजार सिंचाई पंप के उपयोग से सबसे ज्यादा पानी का दोहन हुआ है। जिसके कारण भू-जल स्तर नीचे चला गया था और पेयजल संकट की स्थिति बन गई थी। उन्होंने किसानों से रबी में धान के स्थान पर कम पानी उपयोग वाली अन्य फसल लेने कहा। इसके लिए किसानों को प्रेरित करने कहा और गांव-गांव में मुनादी कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए। कलेक्टर ने कहा कि किसानों को समूह में खेती करने के लिए प्रोत्साहित करें। जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी। उन्होंने अधिकारियों को सभी बैराज, एनीकट, जलाशयों एवं अन्य अधोसंरचना का सर्वे कराकर मरम्मत योग्य कार्यों को शीघ्र मरम्मत कराने के निर्देश दिए। कलेक्टर श्री अग्रवाल ने जिस कार्य के लिए राशि आबंटित है, उस कार्य को कराने के बाद समय पर मजदूरी भुगतान अवश्य करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।
सीईओ जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह ने कहा कि सभी गांवों में कृषि सखी है। उन्होंने कृषि सखी के माध्यम से किसानों को धान फसल के स्थान पर कम पानी उपयोग वाली अन्य फसल लेने के लिए प्रोत्साहित करने एवं जागरूकता लाने कहा। सांसद प्रतिनिधि बिसेशर साहू ने भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि रबी मौसम में धान की फसल लगाने में अधिक लागत लगती है और मुनाफा कम होता है। उन्होंने कहा कि जो किसान रबी में धान की खेती करता है, उससे उसका फायदा नहीं होगा। उन्होंने समृद्ध किसान बनने के लिए फसल चक्र परिवर्तन को अपनाने के साथ कम पानी उपयोग वाली फसल की खेती करने कहा। जिससे किसान के आय में वृद्धि होगी और समृद्ध बन सकेगा। कार्यपालन अभियंता जल संसाधन जीडी रामटेके ने बताया कि जिले में 5 मध्यम सिंचाई जलाशय, 123 लघु जलाशय और 47 एनीकट है। सभी में निस्तारी और सिंचाई के लिए जल भराव की उपलब्धता के संबंध में जानकारी दी। इस अवसर पर उप संचालक कृषि नागेश्वर लाल पाण्डेय एवं जल संसाधन विभाग के सभी एसडीओ उपस्थित थे।