राजनांदगांव। गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा देने पूरे प्रदेश में घूम-घूम कर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सैकड़ों स्वामी आत्मानंद स्कूल आरंभ किया था। नेता और अधिकारी इस योजना की तारीफ करते नहीं थक रहे थे, क्योंकि यह पूर्व मुख्यमंत्री की ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन अब इस योजना की कोई बात तक नहीं करना चाहता। स्थिति यहां तक पहंुच गई है कि शिक्षकों को दो माह से वेतन तक नहीं दिया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या सरकार बदलते ही बदले की भावना से इस योजना को बंद करने की योजना बनाई जा रही है, क्योंकि शिक्षको को दो माह से वेतन नही दिया जा रहा है। श्री पॉल ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री की महत्वकांशी योजना स्वामी आत्मानंद स्कूलों की स्थिति बेहद चिंताजनक है, जिन संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की गई, उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है, और जहां-जहां नए स्वामी आत्मानंद स्कूल आरंभ किया गया, वहां कर्मचारी नहीं दिया जा रहा है। कलेक्टर को अध्यक्ष बनाया गया है, लेकिन इसके बावजूद अब इस योजना का भगवान ही मालिक है। पूर्व में डीएमएफ फंड से संविदा कर्मचारीयों को वेतन दे दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नही किया जा रहा है।
श्री पॉल ने बताया कि कुछ माह पूर्व तक अधिकारी और नेता इस योजना की तारीफ करते नहीं थक रहे थे, अब बात करने कतरा रहे है। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल के शिक्षकों को दो महीने से वेतन वेतन नहीं मिलने से संविदा शिक्षकों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई, इससे पहले, शिक्षा विभाग डीएमएफ फंड से राशि लेकर शिक्षकों को वेतन देता था। संविदा कर्मचारियों के वेतन के लिए दिनांक 24.05.2023 को पूर्व की सरकार ने 207 करोड़ 50 लाख रुपये का बजट आवंटित किया गया था, लेकिन फंड कहां गया यह जांच का विषय है। वेतन नहीं मिलने से घर चलाना, बच्चों की फीस और बैंक का लोन इन बातों को लेकर संविदा कर्मचारी परेशान है, लेकिन कोई जिम्मेदार अधिकारी उनकी समस्या का समाधान करने तैयार नजर नहीं आ रहा है। कुल मिलाकर यह योजना भी अब अपनी अंतिम सांस ले रही है।