
“जहाँ पैडल चले, वहाँ देशभक्ति गूंजी — कारगिल विजय दिवस पर ‘फिट इंडिया साइकिल यात्रा’”
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)।
भारत के इतिहास में 26 जुलाई 1999 वह दिन है, जिसे वीरता, बलिदान और पराक्रम के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। यह वही दिन है जब भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के नापाक इरादों को ध्वस्त कर, भारतीय तिरंगे को दुश्मन की बंकरों पर फहराया था।
इस कारगिल विजय दिवस के मौके पर राजनांदगांव के SAI (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ट्रेनिंग सेंटर ने एक अनूठी और प्रेरणादायक पहल की — ‘फिट इंडिया संडे ऑन साइकिल’, जिसमें ITBP (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के वीर जवानों के साथ आमजन ने भी हिस्सा लिया।
इस आयोजन की अगुवाई की SAI ट्रेनिंग सेंटर के प्रभारी कुशल चंद्र त्रिपाठी ने, जिनकी नेतृत्व क्षमता और राष्ट्रप्रेम ने इस कार्यक्रम को एक सामान्य आयोजन से एक देशभक्ति की चिंगारी में बदल दिया।
🇮🇳 कारगिल विजय: अदम्य साहस की अमरगाथा
कारगिल युद्ध 1999 में हुआ था, जब पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों ने चुपचाप भारतीय नियंत्रण वाले क्षेत्रों में घुसपैठ की।
यह घुसपैठ मई में शुरू हुई और भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत जून और जुलाई में इन दुर्गम चोटियों को पुनः हासिल किया।
लगभग 527 भारतीय जवान शहीद हुए, लेकिन भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और 26 जुलाई को आधिकारिक रूप से विजय की घोषणा की गई।
आज भी कैप्टन विक्रम बत्रा, ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव, कैप्टन अनुज नैयर, लेफ्टिनेंट मनोज पांडे जैसे अनेक वीरों की शौर्यगाथाएं हर भारतीय की रगों में जोश भर देती हैं।
“चलो साइकिल से उस राह पर, जहाँ वीरों ने देश लिखा अपने लहू से!”
🚴♂️ ‘फिट इंडिया’ से लेकर ‘वीर इंडिया’ तक: साइकिल में सवार राष्ट्रप्रेम
कार्यक्रम में ITBP के सेकंड इन कमांडेंट श्री मनोज कुमार बहुगुणा, असिस्टेंट कमांडेंट विजय कुमार, SAI केंद्र प्रभारी श्री के.सी. त्रिपाठी, समस्त प्रशिक्षकगण, खिलाड़ियों और ITBP के जवानों ने भाग लिया।
साइंस सेंटर के कुशल चंद्र त्रिपाठी ने बताया —
हमारे देश के सैनिक केवल सीमा पर नहीं, हमारे दिलों में भी जिंदा रहते हैं। जब हम साइकिल चलाते हैं, पसीना बहाते हैं, तब हम भी अपने तरीके से देश को मजबूत बना रहे होते है
“जब पसीना गिरे देश के लिए, तभी सच्ची श्रद्धांजलि हो वीरों के लिए!
🌿 साइक्लिंग: शरीर और राष्ट्र के लिए लाभकारी
कार्यक्रम में साइकिल चलाने के लाभों पर भी बल दिया गया।
स्वास्थ्य के लिए — यह हृदय गति नियंत्रित करता है, मोटापा घटाता है, मानसिक तनाव कम करता है।
पर्यावरण के लिए — यह वायु प्रदूषण में कमी लाता है, ईंधन की खपत घटाता है और स्वच्छता को बढ़ावा देता है।
पंकज पांडे ने इस अवसर पर कहा:
> “हमारे सैनिकों की फिटनेस युद्ध जिताती है, और हमारी नागरिक फिटनेस राष्ट्र को रोगमुक्त बनाती है।
” फिट रहो, हिट रहो — और देश के लिए कुछ विशेष रहो!”
💂♂️ ITBP जवानों ने सुनाई कारगिल की जमीनी कहानियाँ
कार्यक्रम के दौरान ITBP जवानों ने बताया कि कारगिल की बर्फीली चोटियों पर तैनाती कैसी होती है —
जहाँ तापमान -15 से -20 डिग्री तक चला जाता है, ऑक्सीजन कम होती है और दुश्मन हर पल घात में रहता है।
उन्होंने युवाओं को युद्ध की वास्तविक परिस्थितियों से रूबरू कराया और देशसेवा के असली मायनों को समझाया।
“जिसे देश की मिट्टी से प्यार है, वही असली फौजी यार है!”
🎖️ जन सहभागिता और राष्ट्रनिष्ठा का संगम
सैकड़ों लोगों ने इस रैली में भाग लिया। जगह-जगह देशभक्ति गीत बजाए गए।
बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक, हर कोई सैनिकों को याद कर रहा था।
कुछ युवाओं ने हाथ में “जय हिन्द”, “कारगिल के वीर अमर रहें” जैसे पोस्टर भी ले रखे थे।
पंकज पांडे स्वयं पूरे कार्यक्रम में साइकिल चलाते हुए सबसे आगे रहे, जो एक प्रेरणादायक नेतृत्व का प्रतीक बन गया।
ना बुलेट चाहिए, ना बॉर्डर — साइकिल ही है मेरा ऑर्डर
🚴♀️ जब साइकिल बना श्रद्धांजलि का माध्यम
यह आयोजन एक अनूठा उदाहरण था —
जहाँ फिटनेस, देशभक्ति, और कारगिल के वीरों को नमन एक साथ जुड़ गए।
यह सिर्फ साइकिल चलाने का दिन नहीं था,
बल्कि उन सैकड़ों सैनिकों को सलाम करने का दिन था, जिन्होंने हमारे आज के लिए अपना कल कुर्बान कर दिया।
राजनांदगांव ने साबित किया कि जब युवा, सेना और खेल एक साथ आएं,
तो हर दिन एक राष्ट्रीय पर्व बन सकता है।
और इस पर्व पर कुशल चंद्र त्रिपाठी, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता से इसे एक ऐतिहासिक आयोजन में बदल दिया।
” सीमा पर बहा लहू न भूलें, साइकिल से चलें, देश को छू लें!”
