अचिंत्य श्रीवास्तव ने अबेकस प्रतियोगिता में मारी बाजी

अपने दोस्तों को शेयर करें :

राजनांदगांव। भारत के लिए एक और गौरवपूर्ण क्षण सामने आया है। राजनांदगांव के होनहार छात्र अचिंत्य श्रीवास्तव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए अबेकस प्रतियोगिता 2024-25 में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। यह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता मलेशिया में आयोजित की गई थी, जिसमें दुनिया भर के सैकड़ों प्रतिभागियों ने भाग लिया। अचिंत्य की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने न केवल उनके माता-पिता और शिक्षकों का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है, बल्कि पूरे समाज एवं नगर को भी गौरवान्वित किया है।
अबेकस प्रतियोगिता में मानसिक गणना की तीव्रता, सटीकता और एकाग्रता की परीक्षा होती है। इसमें बच्चों को जटिल गणनाओं को बहुत ही कम समय में हल करना होता है, वह भी बिना किसी कैलकुलेटर या अन्य सहायक उपकरणों के। अचिंत्य ने अपनी विलक्षण प्रतिभा और कठिन परिश्रम के बल पर इस चुनौतीपूर्ण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अर्जित किया, जिससे भारत का नाम वैश्विक स्तर पर रोशन हुआ।
अचिंत्य की सफलता के पीछे उनके निरंतर अभ्यास, मार्गदर्शकों की मेहनत और माता-पिता का सहयोग प्रमुख रहा है। अचिंत्य के अबेकस प्रशिक्षक ने बताया कि वह शुरू से ही गणित में गहरी रुचि रखते थे और छोटी उम्र से ही मानसिक गणना में असाधारण क्षमता दिखा रहे थे। लगातार अभ्यास और अनुशासन ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया।
मलेशिया में आयोजित प्रतियोगिता में विभिन्न देशों के प्रतिभागियों के बीच प्रतिस्पर्धा काफी कठिन थी, लेकिन अचिंत्य ने आत्मविश्वास, अनुशासन और अपने कौशल के दम पर सभी चरणों को पार करते हुए अंतिम राउंड में जबरदस्त प्रदर्शन किया। उनकी गति और गणना की सटीकता ने निर्णायकों को भी प्रभावित कर दिया।
इस उपलब्धि पर अचिंत्य के परिवार में हर्ष का माहौल है। उनके पिता ने मीडिया से बातचीत में कहा, हमें गर्व है कि हमारे बेटे ने देश और शहर का नाम रोशन किया। उसकी मेहनत रंग लाई और आज वह वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व कर सका।
नगर के शिक्षाविदों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संस्थाओं ने अचिंत्य को बधाइयां दीं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। कई स्कूलों और कोचिंग संस्थानों ने इस सफलता को प्रेरणादायक बताते हुए अन्य छात्रों को भी ऐसी प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
यह उपलब्धि केवल अचिंत्य की नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि यदि सही मार्गदर्शन, मेहनत और आत्मविश्वास हो, तो भारत का युवा वैश्विक मंचों पर किसी भी क्षेत्र में शीर्ष स्थान हासिल कर सकता है। अचिंत्य श्रीवास्तव की यह सफलता निश्चित ही आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनकर उभरेगी।

अपने दोस्तों को शेयर करें :