मोहला-मानपुर में 25 सालों से सक्रिय माओवादी दंपत्ति ने किया आत्मसमर्पण

अपने दोस्तों को शेयर करें :

मोहला। छत्तीसगढ़ के माओवादी प्रभावित मोहला-मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों को एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। 25 वर्षों से नक्सल संगठन से जुड़े एक वरिष्ठ माओवादी दंपत्ति ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का रास्ता चुना है। यह आत्मसमर्पण सुरक्षा बलों की रणनीति और पुनर्वास नीति की बड़ी सफलता मानी जा रही है।

आत्मसमर्पण करने वालों में 8 लाख के इनामी डिविजनल कमेटी मेंबर जीवन तुलावी उर्फ राम तुलावी और उनकी पत्नी अगाशा उर्फ आरती कोर्राम शामिल हैं। इन दोनों ने राजनांदगांव रेंज के आईजी अभिषेक शांडिल्य, एसपी वाय.पी. सिंह, आईटीबीपी 27वीं बटालियन के कमांडेंट विवेक कुमार पांडे और 44वीं बटालियन के अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

शिक्षा इकाई में सक्रिय था जीवन, अबूझमाड़ में चलाता था प्रचार नेटवर्क

जीवन तुलावी, ग्राम परवीडीह (थाना मोहला) का निवासी है। डिविजनल कमेटी सदस्य होने के साथ-साथ वह माड़ डिवीजन की शिक्षा इकाई का कमांडर था। वर्ष 2008 में नक्सल संगठन में शामिल हुआ जीवन, शुरुआत में पीएलजीए दस्ते का हिस्सा रहा और बाद में मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल (MOPOS) के माध्यम से माओवादी विचारधारा का प्रशिक्षण देने लगा। वह मोबाइल एकेडमिक स्कूल (MAS) के जरिए अबूझमाड़ के अनेक गांवों में सक्रिय रूप से प्रचार-प्रसार करता रहा।

पत्नी अगाशा ने चेतना नाट्य मंडली के जरिए संभाली प्रचार की कमान

जीवन की पत्नी अगाशा, ग्राम तेलीटोला (थाना मोहला) की निवासी है। वह एरिया कमेटी सदस्य (ACM) और माड़ डिवीजन की प्रेस टीम की सदस्य रही है। इसके साथ ही, चेतना नाट्य मंडली (CNM) की कमांडर के रूप में उसने संगठन की विचारधारा को सांस्कृतिक रूप से फैलाने में अहम भूमिका निभाई। गायिका, कवयित्री, वक्ता और गीतकार के रूप में अगाशा नक्सल संगठन के भीतर खास पहचान रखती थी। वह प्रेस विज्ञप्तियां तैयार करने और कंप्यूटर संचालन का काम भी करती थी।

सुरक्षा बलों की कार्रवाई से बदला माहौल

पिछले 15 वर्षों में पुलिस और आईटीबीपी द्वारा क्षेत्र में चलाए जा रहे सघन अभियानों के चलते नक्सली गतिविधियों को लगातार झटका लग रहा है। गढ़चिरौली और कांकेर जैसे संवेदनशील जिलों से सटे मोहला-मानपुर क्षेत्र में सुरक्षा बलों की दबिश से माओवादी संगठन में हड़कंप की स्थिति है। बीते तीन माह में पांच वरिष्ठ नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिससे संगठन की ताकत कमजोर होती जा रही है।

पुनर्वास नीति बनी सहारा, पुलिस का मानवीय दृष्टिकोण कारगर

आईजी अभिषेक शांडिल्य ने बताया कि शासन की पुनर्वास नीति के अंतर्गत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आवश्यक सहायता और पुनर्वास की सभी सुविधाएं दी जाएंगी। उन्होंने अन्य नक्सलियों से भी अपील की कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हों।

एसपी वाय.पी. सिंह ने कहा कि सुरक्षा बलों की रणनीतिक कार्रवाई, सर्च ऑपरेशन और लगातार संपर्क अभियानों का ही परिणाम है कि माओवादी अब खुद को असुरक्षित और अलग-थलग महसूस कर रहे हैं।

अपने दोस्तों को शेयर करें :