राजनांदगांव। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा भूस्खलन के बचाव हेतु दिशा-निर्देश क्या करें, क्या न करें तैयार किया गया है। इन निर्देशों के परिपालन में भूस्खलन में क्या करें अंतर्गत मौसम विभाग या समाचार चैनल द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पहाड़ी क्षेत्र की यात्रा की तैयारी करें। समय बर्बाद किए बिना भूस्खलन पथ या नीचे की ओर की घाटियों से जल्दी से दूर चले जाएं। नालियों को साफ रखें, नालियों का निरीक्षण करें-कूड़ा, पत्ते, प्लास्टिक की थैलियां, मलबा आदि। अधिक पेड़ लगाएं जो जड़ों के माध्यम से मिट्टी को पकड़ सकें। चट्टानों के गिरने और इमारतों के धंसने, दरारों के क्षेत्रों की पहचान करें, जो भूस्खलन का संकेत देते है, ऐसी स्थिति में सुरक्षित क्षेत्रों में चले जाएं। यहां तक कि नदी का गंदा पानी भी भूस्खलन का संकेत देता है। ऐसे संकेतों को नोटिस करें और निकटतम तहसील या जिला मुख्यालय से संपर्क करें। सुनिश्चित करें कि ढलान का निचला हिस्सा कटा हुआ न हो, सुरक्षित रहे, जब तक कि फिर से वनस्पति लगाने की योजना न हो, पेड़ों को न उखाड़े। असामान्य आवाजों जैसे पेड़ों के टूटने या पत्थरों के आपस में टकराने की आवाज सुनें। भूस्खलन के प्रभाव या प्रभाव की संभावना के दौरान सतर्क, सजग और सक्रिय रहें। आश्रयों का पता लगाएं और वहां जाएं। अपने परिवार और सार्थी के साथ रहने की कोशिश करें। घायल और फंसे हुए लोगों की जांच करें। ट्रैकिंग के रास्ते को चिन्हित करें ताकि आप जंगल के बीच में खो न जाएं। आपातकालीन समय में उड़ते हुए हेलीकॉप्टर और बचाव दल को संकेत देना या संवाद करना सीखें।
इसी तरह भूस्खलन में क्या न करें अंतर्गत निर्माण कार्य से बचने और संवेदनशील क्षेत्रों में रहने की कोशिश करें। घबराएं नहीं और रो-रोकर अपनी ऊर्जा न खोएं। ढीली सामग्री और बिजली के तारों या खंभों को न छुएं और न ही उन पर चलें। खड़ी ढलानों और जल निकासी के रास्ते के आस-पास घर न बनाएं। नदियों, झरनों, कुओं से सीधे दूषित पानी न पिएं, लेकिन बारिश का पानी अगर सीधे इकट्ठा किया जाए तो ठीक है। घायल व्यक्ति को प्राथमिक उपचार दिए बिना न ले जाएं, जब तक कि वह तत्काल खतरे में न हो को अपनाने कहा गया है।