राजनांदगांव। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के माध्यम से जिले में विभिन्न प्रकार की वात-व्याधियों का ईलाज किया जा रहा है। शासन के आयुष मिशन के तहत ऑस्टियोआर्थराइटिस एवं मास्कुलर डिसऑर्डर के पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में आयुष पॉली क्लीनिक आयुष विभाग में जनसामान्य का निःशुल्क उपचार किया जा रहा है। इसके अंतर्गत वात-व्याधियों, वात रक्त, स्पॉडिलाईटिस, ऐड़ी में दर्द के लिए जनसामान्य में जागरूकता, रोकथाम एवं उपचार के लिए कार्य किया जा रहा है। असम्यक जीवन शैली एवं कार्यशैली के कारण यह व्याधि होती है। इसके लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ईलाज करने से तथा जीवन शैली एवं कार्य शैली में आवश्यक बदलाव किया जाए, तो इस व्याधि के आगे बढ़ने, शल्य क्रिया एवं दिव्यांगता से हाफी हद तक बचाव किया जा सकता है। जिला आयुष अधिकारी डॉ. शिल्पा पाण्डेय के मार्गदर्शन में अर्थराईटिस की रोकथाम के लिए अच्छा कार्य किया जा रहा है। आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी आयुष पाली क्लीनिक डॉ. प्रज्ञा सक्सेना ने बताया कि यहां मरीजों का ईलाज अश्वगंधा, लक्षादि गुग्गलु, दशमूल काढ़ा, नारायण तेल एवं अन्य दवाईयां दी जा रही है। दीनदयाल नगर चिखली निवासी रविराम सेन ने बताया कि उनके घुटने में दर्द था और पिछले कुछ दिनों से यहां ईलाज करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पहले घुटने में दर्द के कारण बैठने में तकलीफ हो रही थी। दवाई और काढ़ा से आराम मिला है। चिखली निवासी श्रीमती गायत्री यादव ने बताया कि उन्हें दो साल से कमर से लेकर पैर तक दर्द होता था और वह पिछले चार माह से यहां ईलाज करा रही हैं। अब उन्हें लगभग 90 प्रतिशत आराम मिला है। दवाई और मसाज से ज्यादा अच्छा फायदा मिला है। पहले घरेलू कार्य करने में उनको समस्या हो रही थी। उन्होंने बताया कि ईलाज के बाद अब राहत मिली है।
उल्लेखनीय है कि जीवन शैली ठीक नहीं होने के कारण सर्वाइकल स्पोंडिलाईटिस, फ्रोजेन शोल्डर, आस्टियोअर्थराइटिस एवं एड़ी का दर्द जैसी बीमारियां हो रही हैं। प्रतिदिन घंटो लगातार कम्यूप्टर पर काम करने, टीवी देखना, पढ़ना या अन्य कार्य जिसमें गर्दन को लम्बे समय तक झुकाना पड़ता है, गलत तरीके से सोना या ऊँचे तकिये का उपयोग भविष्य में सर्वाइकल स्पॉडिलाइटिस का कारण हो सकता है। जिससे गर्दन में दर्द जकड़ाहट चक्कर आने की शिकायत हो सकती है। एक या दोनों हाथों के कंधे में दर्द व सम्यक गति का न होना फ्रोजेन शोल्डर कहलाता है। इसमें कंधे के ऊपरी बाँह में दर्द, मांसपेशी में जकड़न, जिससे दैनिक कार्य करने में कठिनाई होती है। ऑस्टिओऑर्थराइटिस में एक या अधिक जोड़ो में लगातार या रूक-रूक कर दर्द , पैरों को मोड़ने एवं जमीन पर बैठने में परेशानी एवं जोड़ो में जकड़ाहट होती है, ये प्रायः अधिक उम्र के लोगों में देखा जाता है। रागी सिंघाड़ा, मखाना दूध से बने पदार्थ जिनमें कैल्शियम अच्छी मात्रा में हो का सेवन करें। गोघृत, लहसुन, अजवायन, हल्दी, सोंठ, मेथी का प्रयोग लाभप्रद है। साथ ही चिकित्सक की सलाह से योग व व्यायाम करें। वातकॅटक या प्लान्टर फेशिआइटिस में एड़ी पैरो के निचले हिस्से में सुबह सोकर उठने पर असहनीय दर्द एवं असमर्थता होती है। इसके लिए आयुर्वेद औषधियां अभ्यंग, अग्निकर्म प्रभावी है। साथ ही आरामदायक जूते चप्पल पहने।