राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री शाहिद भाई ने नीट परीक्षा धांधली के गंभीर तथ्यों को उजागर करते केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आज देश की संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता लगभग समाप्ति की ओर है, वहीं शिक्षा और परीक्षा की दुर्गति से देश के युवाओं का भविष्य खतरे में है। क्योंकि चिकित्सकीय शिक्षा की अति विश्वसनीय नीट परीक्षा में जिस प्रकार से धांधली की बातें प्रमाणित हो रही है, वह केंद्र सरकार की निरंकुशता के कारण ही है। पेपर लीक सहित इस मामले भाजपा शासित राज्य ही शामिल हैं।
प्रदेश महामंत्री शाहिद भाई ने कहा कि डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने अथक प्रतिभाशाली परिश्रमी 23 लाख से अधिक बच्चों ने नीट के एग्जाम में शामिल हुए। 9 फरवरी से 9 मार्च लिए पंजीयन साइट खोल गया और 9 मार्च के पश्चात एक सप्ताह के लिए इसे बढ़ाया गया, उसके बाद 9 अप्रैल को फिर से रजिस्ट्रेशन साइट खोलने एवं 11 से 15 अप्रैल तक साइड को करेक्शन के लिए ओपन करना ही अपने आप में परीक्षा को धांधली की ओर अग्रसर करने का कार्य रहा है। 5 को परीक्षा सम्पन्न के बाद से ही पेपर लीक के विभिन्न मामले सामने आ गए थे। गुजरात में भाजपा नेता की संकल्पितता भी उजागर हुई थी और उसके पश्चात जिस प्रकार से एनटीए ने 16 से 17 वर्ष के बच्चों की भविष्य के साथ जो खिलवाड़ किया, उसकी मार पूरे परिवार पर भी पड़ा। सही जवाब के चार अंक और गलत जवाब में एक माइंस अंक के नियम से आयोजित इस परीक्षा में 67 बच्चों को ग्रेस मार्क दिया गया, जिसमें 44 बच्चों को गलत उत्तर के लिए और 6 बच्चों को समय के कारण यह अंक दिए गए जिससे 75 प्रतिशत टॉपर तो ग्रेस अंक से ही टॉपर बन गए। सबसे गंभीर स्थिति यह रही कि वर्ष 2018 के एनसीईआरटी के बुक में छपे गलत उत्तर का हवाला देते हुए इन बच्चों को ग्रेस मार्क देने का घिनौना खेल एनटीए ने किया, जबकि 2018 में छपे बुक में गलत उत्तर को वर्ष 2019 में ही सही कर दिया गया था। अतः इस पर ग्रेस अंक देना ही गलत है और तो और परीक्षा के पश्चात आंसर शीट भी एनटीए ने जारी किया और जिन छात्रों ने परीक्षा में जो आंसर लिखे थे और एनटीए द्वारा जारी आंसर शीट से मिलान करने पर भी अंको का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। इन सब भ्रष्टाचार को छिपाने परीक्षा का परिणाम 10 दिन पहले लोकसभा चुनाव परिणाम के दिन 4 जून को परिणाम घोषित कर दिया, ताकि मीडिया की नजरों से यह मामला ना आए। एनटीए का भ्रष्टाचार यहीं नहीं बल्कि उन्होंने माननीय सुप्रीम कोर्ट के भी निर्णय की गलत व्याख्या कर वर्ष 2018 के क्लेट परीक्षा के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए छात्रों को ग्रेस अंक देने का भी घिनौना खेल खेल दिए इन सब मामलों के बाद भी केंद्र की भाजपा सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है, अन्य पर दोषारोपण कर अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रही है। 7 वर्ष में 70 पेपर लीक के मामले जिससे 1.4 करोड़ लोगों के जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, वहीं शिक्षा अध्ययन के बाद देश में आज युवाओं को बेरोजगारी की मार झेलनी पड़ रही है। वहीं 16 17 वर्ष के छात्र-छात्राओं को परीक्षा में धांधली का शिकार होना पड़ रहा है, जिस देश की शिक्षा और परीक्षा की व्यवस्था कलंकित हुई, उसके बाद भी केंद्र सरकार की नाकामी से विश्वसनीय खतरे में है। कांग्रेस इस मामले को लेकर जन आंदोलन की ओर अग्रसर है।