जेन-जी के मानसिक स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय मंथन : कमला कॉलेज में 7वां राष्ट्रीय सम्मेलन, 102 शोधपत्र प्रस्तुत

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राजनांदगांव। शासकीय कमलादेवी राठी महिला महाविद्यालय, राजनांदगांव में छत्तीसगढ़ साइकोलॉजिकल फोरम के तत्वावधान में 7वां वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन 12 व 13 दिसंबर 2025 को आयोजित किया गया। सम्मेलन में जेड-जी के मानसिक स्वास्थ्य को केंद्र में रखकर विशेषज्ञों ने मंथन किया। आयोजन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से हुआ, जिसमें कुल 102 शोधार्थियों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए, जबकि लगभग 120 प्रतिभागियों ने सक्रिय सहभागिता की।
सम्मेलन के पहले दिन करीब 250 श्रोताओं की उपस्थिति रही। उद्घाटन महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. अंजली अवधिया के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। आयोजन में सिम्हान्स देवादा (राजनांदगांव) का विशेष सहयोग रहा। तकनीकी सत्रों में देश के विभिन्न राज्यों से आए शोधार्थियों ने शोध प्रस्तुत किए, जिन पर विषय-विशेषज्ञों ने मार्गदर्शन दिया।
मुख्य अतिथि प्रो. बीजी सिंह, पूर्व कुलपति पं. सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय, बिलासपुर एवं सिम्हान्स के निदेशक ने कहा कि आज की जेन-जी तकनीक से समृद्ध और अत्यंत प्रतिभाशाली पीढ़ी है। यदि उन्हें भावनात्मक संतुलन और मानसिक दृढ़ता का सही मार्गदर्शन मिले, तो यही पीढ़ी देश के सामाजिक-मानसिक विकास की आधारशिला बनेगी। सह-अध्यक्ष डॉ. प्रमोद गुप्ता ने मानसिक स्वास्थ्य को शिक्षा व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बनाने पर जोर दिया।
डॉ. बशीर हसन ने कहा कि जेन-जी कई मानसिक चुनौतियों से जूझ रही है, लेकिन उनमें समस्याओं से उबरने की अपार क्षमता है। की-नोट स्पीकर प्रो. विजयेंद्र पांडेय ने कहा कि आज की पीढ़ी को प्रतिस्पर्धा के साथ सहयोग, संवेदना और सामाजिक उत्तरदायित्व का बोध कराना जरूरी है। विशिष्ट वक्ता प्रो. संदीप आनंद ने कहा कि जेन-जी प्रश्न पूछने वाली और बदलाव लाने वाली पीढ़ी है, जो शोध और नवाचार के जरिए समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है।
प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह, प्रो. प्रशांत के. साहा, डॉ. अखिलेंद्र कुमार सिंह, डॉ. जय सिंह और श्रीमती श्वेता कुमारी ने भी मानसिक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन और अकादमिक दबाव जैसे विषयों पर विचार रखे। सम्मेलन में भिलाई-दुर्ग और राजनांदगांव के विभिन्न महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. बशीर हसन को मनोवैज्ञानिक शोध सम्मान और श्रीमती रोशिता पिल्लै को मनोवैज्ञानिक समाधान सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मेलन के संयोजक डॉ. बसंत कुमार सोनबर ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजन टीम के प्रति आभार जताया। समन्वयक डॉ. एस. रूपेंद्र राव रहे, जबकि सह-संयोजक डॉ. रोली तिवारी, डॉ. ओमप्रकाश शर्मा और श्रीमती रोशिता पिल्लै ने अहम भूमिका निभाई। आयोजन सचिव डॉ. मोना माखीजा रहीं।
दूसरे दिन के समापन समारोह में मुख्य अतिथि हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. भूपेंद्र कुलदीप ने कहा कि जेन-जी शैक्षणिक संस्थानों की ऊर्जा है। विश्वविद्यालयों का दायित्व है कि युवाओं को मानसिक रूप से सशक्त, संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक बनाया जाए। सम्मेलन जेन-जी के मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक जागरूकता की दिशा में महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।

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